बच्चों में अगर निमोनिया की शिकायत मिलती रहती है। आइये हम जाने यह क्या है और क्यों होता व इसका उपचार व बचाव क्या है। निमोनिया से फेफड़े के ऊतकों पर असर होता है। इसका कारण आमतौर पर बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण होता है। वायरस से संक्रमण बहुत कम होता है। संक्रमण हवा से होता है। निमोनिया में फेफड़ों के किसी भाग में शोथ हो जाता है। इससे बच्चा तेज़ तेज़ सांस लेने लगता है। शोथ से खांसी, बुखार और अन्य लक्षण जैसे भूख मरना, उल्टी और बहुत ज़्यादा कमज़ोरी हो जाती है। स्वस्थ बच्चे को निमोनिया आमतौर पर नहीं होता। आमतौर पर कोई और बीमारी होने पर जब शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता कमज़ोर पड़ गई होती है तक निमोनिया हो जाता है। खसरे या किसी और श्वसन तंत्र की किसी वायरस से होने वाली बीमारी से ठीक हो रहे बच्चे, कुपोषित बच्चे, समय से पहले पैदा हुए बच्चे और कम वजन वाले बच्चों के निमोनिया के शिकार होने की संभावना अधिक होती है। विशिष्ट बचाव संभव नहीं है। भारत में बाल न्यूमोनिया एक गंभीर बीमारी है। पॉंच साल से कम उम्र किसी भी बालक को यह बीमारी कभी भी हो सकती है। बुखार, खॉंसी और सॉंस तेजीसे चलना ये लक्षण होनेपर इसे न्यूमोनिया समझना चाहिये। बाल-न्यूमोनिया अक्सर जिवाणु या कभी कभी विषाणु से होता है। यह बीमारी गंभीर होते हुए भी पहचानने और इलाज के लिए सरल है। अधिक जटिल बिमारियों में अस्पतालमें ही इलाज करवाना पडता है। अब हम इस बीमारी के शुरुआत में बुखार, सर्दी खांसी से होती है। बच्चे का दम फूलता है। बुखार, खांसी और तेज सांस ये तीन प्रमुख लक्षण है। इसमें खांसी सीने की गहराई से आती है। गले से नही। खांसनेे की आवाज से ही यह पता चलता है। इसी को भारी खॉंसी भी कहते है। शुरु में 1-2 दिन हल्का-मध्यम बुखार रहता है। बुखार निरंतर रहता है। बच्चे के सांस की गति से निमोनिया की स्थिति दिख जाती है। बच्चे की एक मिनट तक सांसे गिने, छह महिने से कम उम्र के शिशु साठ से अधिक श्वसन को तेज श्वसन कहा जा सकता है। छह से दो वर्ष तक के बच्चों के श्वांस की गति एक मिनट में पचास से अधिक हो तो दम भरना हो सकता है। दा वर्ष से उपर के शिशु में गति चालीस से अधिक हो तो इसे तेज श्वसन कह सकते है। बच्चे में खांसी, बुखार व जल्द श्वसन के अलावा बुखार से दौरे पडते है। बच्चा खाने-पीने को राजी नहीं होता। स्तनपानभी नहीं करता। बच्चा सुस्त हो जाता है। जादा देर जागता नहीं है।
सांस लेते समय बच्चे की पसलियां अंदर खींचती है। सांस लेते समय सीने से कराहने की तथा सीटी जैसी आवाज आती है। त्वचा, होंठ, नाखून व चेहरे पर नीली सी झलक दिखती है। इनमे से किसीभी लक्षण के दिखते ही तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए।
0 Comments