सिरोही। अगर आपको सेहत अच्छी रखनी है कि साफ सुथरा और पोष्टिक भोजन सेवन करना होगा। शरीर को ताकत देने वाला भोजन हमेशा सेवन करें।
यह तो है आम लोगों के लिए भोजन। अब गर्भवती व दूध पिलाने वाली महिलाओं के लिए लिए भोजन कैसा होना चाहिए। यदि गर्भ के समय माँ ताकत देने वाले भोजन नहीं लेती हैं तो बच्चा कमजोर कम वजन वाला और छोटा होता है। इस समय अपना और दूध पिलाने तक मां को रोटी, चावल, दाल, सोयाबीन, फल, दूध, मांस मछली उचित मात्रा में देनी चाहिए ताकि माँ और बच्चा दोनों सेहतमंद रहें। ज्यादा दूध मिले ताकि बच्चा कमजोर न हो जाए। छोटे बच्चों की बात करें तो उनका भोजन भी पोष्टिक होना जरुरी है।
बच्चे के जन्म के तुरंत बाद मां को अपना पहला दूध-पीला और गाढा जरुर पिलाना चाहिए। यह बच्चों की बीमारियों से दूर रखता है।
बच्चे को डिब्बा वाला दूध कभी नहीं पिलाना चाहिए। यह दूध जानलेवा होता है। चार महीने तक माँ को बच्चे को अपना दूध ही पिलाना चाहिए। उसे किसी और भोजन या पानी की जरुरत नहीं पड़ती है। अगर मां को पूरा दूध न निकले तो मां को अधिक पानी पीना चाहिए। पत्तेदार साग, पपीता, लहसुन, दूध, मांस, अंडा, मछली खाना चाहिए। दूध ना निकले तो इस बीच गाय, बकरी या भैंस का दूध में पानी एवं थोड़ी चीनी मिलाकर बच्चे को पिलाएं। दूध को उबाल कर ठंडा होने पर ही दें। चार महीने से एक साल तक के बच्चों का भोजन। जब बच्चा चार महीने का हो जाए तो माँ को अपने दूध के साथ-साथ दूसरे तरह का भी भोजन देना जरुरी है। बच्चों के भोजन को अच्छी तरह पकाएं और मसलें। चार से छह महीने तक में दाल और पत्तेदार सब्जियों को पकाने वाला पानी मसली हुई दाल, रोटी, सब्जी मसला हुआ केला और पपीता, दूध में पकाया दलिया देना चाहिए। छह महीने एक साल तक मसले हुए भात, रोटी, दाल के साथ हरी सब्जियां मसले हुए फल पीला फल और सब्जी देनी चाहिए। अगर सेहत ठीक रहने वाला भोजन नहीं लेंगे तो बच्चों में वजन नहीं बढेगा, बड़ों में कमजोरी और थकान महसूस होगी।
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